जयपुर में हुए Jaipur hospital fire (Sawai Man Singh Hospital) की घटना ने चिकित्सा संस्थान की सुरक्षा पर सवाल उठा दिए हैं। इस आग में गंभीर रूप से बीमार कई मरीजों की जान गई और घबराहट मची रही। घटना की जानकारी व स्थानीय प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं।
घटना क्या हुई?
रात के देर समय में राजधानी जयपुर के राज्य प्रशासनिक Sawai Man Singh (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में आग भड़क उठी। सूचना के अनुसार उस समय ट्रॉमा के न्यूरो-ICU में लगभग 11 मरीज भर्ती थे। आग के कारण और फैलने के अंदेशे पर प्रारम्भिक जानकारी में शॉर्ट सर्किट को संभावित कारण बताया जा रहा है। पुलिस और दमकल टीमों ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कर दिया।
मृतकों और प्रभावितों की संख्या
प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक इस आग में छह से आठ तक गंभीर मरीजों की मौत हुई है — स्रोतों में थोड़ा अन्तर पाया गया है। कई समाचार एजेंसियों ने छह मरे हुए मरीजों की सूची दी है जबकि कुछ रिपोर्टों में संख्या आठ बताई गई है। अस्पताल के कुछ कांग्रेसी व परिचर और परिजन भी प्रभावित हुए और दम घुटने के कारण लोगों में अफरातफरी थी।
आग का संभावित कारण और नुकसान
अस्पताल के ट्रोमा सेंटर के एक स्टोरेज एरिया में आग लगी। प्रारम्भिक बयान के अनुसार वहाँ रखे कागजात, आईसीयू उपकरण, ब्लड सैंपल ट्यूब जैसी सामग्रियाँ भी जल गयीं। ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज ने बताया कि संभवतः शॉर्ट सर्किट से आग भड़की और धुएँ के कारण वार्ड में फैलने वाली जहरीली गैस ने जटिल स्थिति पैदा की।
बचाव और दमकल टीम की कार्रवाई
हॉस्पिटल स्टाफ और परिचारकों ने मरीजों को बाहर निकालने की कोशिश की। कई मरीजों को उनके बेड पर ही बाहर निकाला गया। दमकल विभाग मौके पर आने के बाद लगभग दो घंटे में आग पर काबू पाने में सफल रहा। दमकल कर्मियों को भारी धुएं के कारण इमारत के विपरीत सिरे की खिड़की तोड़नी पड़ी ताकि अंदर से आग बुझाई जा सके और बचाव कार्य कराया जा सके।
परिजनों की शिकायतें और अस्पताल प्रशासन की स्थिति
परिजनों का आरोप है कि जब उन्हें धुआँ दिखा और आग लगने की सूचना दी गयी तो अस्पताल स्टाफ ने कोई त्वरित मदद नहीं की और कुछ लोग भागते हुए नजर आए। कई परिजन बोले कि स्टाफ ने चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और बाद में कोई समुचित जानकारी नहीं मिल पा रही थी। मुख्यमंत्री समेत राज्य के कुछ मंत्री भी हादसे के बाद अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। परिजनों की नराजगी और सवालों ने प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है।
सुरक्षा मानक और संभावित जांच
यह घटना दर्शाती है कि बड़े सरकारी अस्पतालों में बिजली सुरक्षा, इमरजेंसी निकासी मार्ग और स्टोरेज नियमों का पालन कितना महत्वपूर्ण है। फिलहाल घटनास्थल पर प्रारम्भिक बचाव-कार्रवाइयाँ और प्रशासनिक जाँच की बात कही जा रही है। आगे अधिकारी विस्तृत फोरेंसिक जांच और कारणों की संपूर्ण जांच करेंगे ताकि दोषियों की पहचान हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। (नोट: जाँच के आधिकारिक आदेश और परिणामों की जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।)
प्रभावित परिवारों के शब्द
एक आईसीयू परिजन ने कहा कि उन्होंने पहले से धुआँ देखा और स्टाफ को सूचित किया, पर कोई मदद नहीं मिली। कई परिजन रोते हुए घटना की निष्ठुरता बताते नजर आए। अस्पताल के कुछ कर्मचारियों ने भी बताया कि वे प्रारम्भिक समय में कुछ लोगों को बाहर निकालने में सफल रहे, पर जैसे ही आग तेज हुई, अंदर जाना मुश्किल हो गया।
आगे की उम्मीदें और प्रशासनिक कदम
मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री के दौरे के बाद प्रशासन से उम्मीद की जाएगी कि वे पारदर्शी जांच कराएँ। अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा और जरूरी सुधारों को लागू किया जाना चाहिए। साथ ही पीड़ित परिवारों को त्वरित राहत और मुआवजा देने की भी माँग उठ सकती है। इन पहलुओं पर सरकार और अस्पताल प्रशासन को शीघ्र कदम उठाने होंगे।
Jaipur hospital fire जैसी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था प्राथमिकता होनी चाहिए। छोटे-छोटे तकनीकी दोष भी जान-लेवा साबित हो सकते हैं। त्वरित बचाव व्यवस्था, प्रशिक्षित स्टाफ और नियमित सुरक्षा ऑडिट इस तरह के खतरों को कम करने में मदद करते हैं।
डिसक्लेमर: यह लेख मुख्य रूप से सम्बन्धित समाचार रिपोर्ट्स पर आधारित है। घटना की जानकारी और कथनों का स्रोत समाचार रिपोर्टों में उपलब्ध प्रारम्भिक बयानों पर आधारित है; आधिकारिक जाँच के परिणाम आने पर विवरण में बदलाव संभव हैं।
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